मनेंद्रगढ़ (एमसीबी)।
छत्तीसगढ़ शासन की नीतियों और नियमों को ताक पर रखकर मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) जिले में शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन द्वारा साउथ के एनजीओ को खुलेआम संरक्षण दिए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। जब पूरे प्रदेश में एनजीओ के अनुबंध और पंजीयन शिक्षा विभाग द्वारा समाप्त कर दिए गए हैं, तब आखिर एमसीबी में किस अधिकारी की ‘कृपा’ से नियम विरुद्ध तरीके से एनजीओ को शिक्षण कार्य और ट्रेनिंग का ठेका दिया जा रहा है?
शासन का नियम कुछ और, एमसीबी का नियम कुछ और!
मामले को संज्ञान लेते हुए पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से यह ज्ञात हुआ है कि छत्तीसगढ़ शासन ने शिक्षा सत्र 2024–25 के अंत में प्रदेश के सभी जिलों में एनसीईआरटी के साथ एनजीओ का अनुबंध समाप्त कर दिया था। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी कर कहा था कि आगामी सत्र 2025–26 में किसी भी एनजीओ का पंजीयन, नवीनीकरण अथवा अनुबंध नहीं होगा। बीते वर्ष जिन 27 एनजीओ का पंजीयन था, उन्हें भी निरस्त कर दिया गया। विभाग का साफ आदेश है कि शासन के बिना अनुमति के किसी भी एनजीओ से काम कराया जाना नियम विरुद्ध है, इसके विरुद्ध कार्य करने पर जिम्मेदार अधिकारियों व एनजीओ के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
नियम को ताक में रखते हुए एमसीबी जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने इन नियमों की खुलकर अवहेलना करते हुए बेंगलुरु के एनजीओ ‘स्टेप अप फॉर इंडिया’ को शिक्षकों को ट्रेनिंग देने का जिम्मा सौंप दिया है। यह सब किसकी शह पर हो रहा है? कौन अधिकारी इस ‘विशेष मेहरबानी’ का जिम्मेदार है? यह बड़ा सवाल है। इसके साथ ही सूत्रों द्वारा जानकारी प्राप्त हुई है कि क्षेत्र के युवक युवतियों को झांसे में लेकर एनजीओ के द्वारा कार्य कराया जा रहा है।
प्रदेश में 27वें नंबर पर शिक्षा व्यवस्था, फिर भी वही एनजीओ?
पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने सवाल उठाया कि बीते शैक्षणिक सत्र में भी इसी एनजीओ ने जिले में ट्रेनिंग दी थी, फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में एमसीबी जिला पूरे प्रदेश में 33 वें पायदान पर रहा। जब हमारे जिले के समस्त विद्यालयों में हर विषय के पारंगत शिक्षक मौजूद हैं, तो फिर एनजीओ को बीच में दखल की क्या जरूरत? ऐसे एनजीओ के दखल से शिक्षा व्यवस्था बिगड़ती है, कुछ एनजीओ शिक्षकों के ‘सर्वे’ करने के नाम पर उनके बॉस की तरह व्यवहार करते हैं और माहौल को खराब करते हैं।
उन्होंने तीखा सवाल किया कि “क्या सिर्फ पांच बच्चों से पूछताछ और कागजी सर्वे कर जिले की शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है?”
भाजपा सरकार पर लगाया शिक्षा को कमजोर करने का आरोप
पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने कहा कि एक तरफ प्रदेश की भाजपा सरकार सुशासन के दावे करती है, दूसरी तरफ शिक्षा जैसी बुनियादी व्यवस्था को लगातार कमजोर कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी अपनी मनमानी कर रहे हैं, भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और ईमानदारी का चोला पहनकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
पूर्व विधायक ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि नियमों को ताक पर रखकर चलने वाले ऐसे अधिकारियों और एनजीओ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।
पूर्व विधायक ने इस मामले में एससीईआरटी के डायरेक्टर रघुवंशी जी और एससीईआरटी के एनजीओ प्रभारी वर्मा जी से बात कर मामले की गंभीरता से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
पूर्व विधायक द्वारा मामले की जानकारी को ऊपर तक पहुंचाए जाने के कुछ देर बाद ही एनजीओ द्वारा शिक्षकों को दी जा रही ट्रेनिंग को शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा आगामी पर्यंत तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
जवाब दे जिला प्रशासन — किसकी शह पर हो रहा नियमों का उल्लंघन?
यह सवाल अब जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को जवाब देना होगा कि जब प्रदेश में एनजीओ के अनुबंध रद्द हो चुके हैं, तो एमसीबी जिले में किसकी ‘कृपा’ से बेंगलुरु के एनजीओ द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है?
पूर्व विधायक की दो टूक —
गुलाब कमरों ने दो टूक कहा कि “ईमानदारी का ढोंग रचकर भ्रष्टाचार करने वाले और नियम विरुद्ध काम कर रहे अफसरों को बेनकाब कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। शिक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”