मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला नई लेदरी में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। विद्यालय में दर्ज छात्रों की संख्या 64 है, जिसके अनुसार एक प्रधान पाठक और तीन शिक्षकों का सेटअप स्वीकृत है। लेकिन वास्तविकता में यहाँ पाँच शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें विषयानुसार 01 प्रधान पाठक (विज्ञान), 02 शिक्षक (विज्ञान), 01 वरिष्ठ शिक्षक (कला) और 01 हिंदी शिक्षिका पदस्थ हैं।
इस सेटअप के आधार पर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में हिंदी विषय को अतिशेष मानते हुए एक आदिवासी महिला शिक्षिका को हटाने का आदेश जारी किया गया। जबकि विद्यालय में गणित विषय की शिक्षिका श्रीमती अन्नपूर्णा जायसवाल भी कार्यरत हैं, जिनका उल्लेख न तो युक्तियुक्तकरण समिति की सूची में है और न ही आदेश में।
आवेदिका का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) द्वारा जानबूझकर गणित विषय की शिक्षिका का नाम आदेश से हटा दिया गया, ताकि किसी खास शिक्षक को बचाया जा सके। इससे पहले भी डीईओ पर कुटरचित आदेश तैयार करने और एक गलती छुपाने के लिए बार-बार नई गलतियाँ करने के आरोप लगे हैं।
पीड़िता ने सवाल उठाया है कि क्या डीईओ को न तो शासन के निर्देशों का डर है और न ही न्यायालय का सम्मान? वह कहती हैं कि एक आदिवासी महिला शिक्षिका होने के कारण उनके साथ लगातार भेदभाव हो रहा है।
अब यह मामला अनुसूचित जनजाति आयोग तक पहुँचने की कगार पर है, जहाँ पीड़िता ने अपने साथ हो रहे अन्याय की गुहार लगाने की बात कही है।
क्या शिक्षा विभाग में हो रही अनदेखी और मनमानी का कोई अंत है? क्या आदिवासी शिक्षकों को न्याय मिलेगा? ये सवाल अब जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं।