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आदिवासी महिला शिक्षिका के साथ भेदभाव पर सर्व आदिवासी समाज ने उठाई आवाज, आयोग से की कार्रवाई की मांग


रायपुर/एमसीबी।

एमसीबी जिले में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) अजय मिश्रा पर आरोप है कि उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेशों और शासन के दिशा-निर्देशों की अवहेलना करते हुए आदिवासी महिला शिक्षिका के साथ भेदभावपूर्ण कार्रवाई की।

 

छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज (युवा प्रभाग) के प्रदेश अध्यक्ष कुंदन सिंह ठाकुर ने इस मामले को राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष उठाते हुए दोषी अधिकारियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। आयोग को सौंपे गए ज्ञापन में ठाकुर ने कहा कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला, नई लेदरी में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के नाम पर पक्षपात किया गया है।

 

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ज्ञापन के अनुसार, विद्यालय में चार स्वीकृत पदों के विरुद्ध छह शिक्षक पहले से पदस्थ हैं। विज्ञान विषय में पहले से तीन शिक्षक मौजूद हैं, इसके बावजूद हिंदी विषय की एकमात्र आदिवासी महिला शिक्षिका श्रीमती पार्वती मरकाम को “अतिशेष” घोषित कर दिया गया। इतना ही नहीं, गणित विषय की पदस्थ शिक्षिका का आदेश में कोई उल्लेख ही नहीं किया गया।

 

कुंदन सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि डीईओ कार्यालय ने जानबूझकर नियमों को तोड़-मरोड़कर एक खास शिक्षक को बचाने और पारदर्शी प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास किया है। उन्होंने इसे आदिवासी महिला शिक्षिका के साथ अन्याय और भेदभाव का मामला बताया।

 

ज्ञापन में यह भी कहा गया कि शासन के एक जैसे नियमों का अलग-अलग जिलों में अलग तरीके से पालन हो रहा है, जिससे शिक्षक वर्ग में भारी असंतोष उत्पन्न हो रहा है। इस प्रकरण में डीईओ की कथित तानाशाही और पक्षपातपूर्ण रवैया शासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।

 

 

विद्यालय प्रबंधन, अभिभावकों और ग्रामीणों ने भी पार्वती मरकाम के पक्ष में समर्थन जताया है और न्याय की मांग की है। समाज के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो व्यापक जन आंदोलन किया जाएगा।

 

ठाकुर ने आयोग से मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि शिक्षा विभाग में व्याप्त गड़बड़ियों पर अंकुश लगे और आदिवासी समाज के साथ न्याय हो सके|


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