दुर्ग : राज्य में शिक्षकों के युक्तियुक्तकारण प्रक्रिया पर अभी भी पूरी तरह विराम नहीं लगा है। काउंसलिंग और पोस्टिंग के बाद अब “अटैचमेंट” के नाम पर नई हलचल शुरू हो गई है। दुर्ग जिले से सामने आए ताजा मामले ने पूरे सिस्टम की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
एकल शिक्षकीय दिखाकर अटैचमेंट का खेल
दुर्ग विकासखंड के तीन स्कूलों में, जहां एकल शिक्षकीय स्थिति बताई गई, वहां बीईओ कार्यालय द्वारा शिक्षकों को अटैच किया गया है। इन स्कूलों में मधु साहू (प्राथमिक शाला आमटी), रेखा ठाकुर (प्राथमिक शाला बोरसीभाटा) और सुधा सोनी (प्राथमिक शाला मुक्तिधाम) को अध्यापन व्यवस्था के लिए भेजा गया है।
फिर उठे वही पुराने सवाल
शिक्षक संगठनों का कहना है कि अगर ये स्कूल एकल शिक्षकीय ही थे, तो फिर युक्तियुक्तकरण और काउंसलिंग के दौरान इन पदों को क्यों खाली छोड़ा गया? जब योजना का उद्देश्य ही खाली और एकल शिक्षकीय स्कूलों को भरना था, तब अटैचमेंट की जरूरत क्यों पड़ी?
संभावित न्यायिक दृष्टिकोण
शिक्षा विभाग की इस कार्यशैली को लेकर अब ये चर्चा तेज हो गई है कि यह आदेश हाईकोर्ट में चल रही युक्तियुक्तकरण संबंधी सुनवाई के दौरान मिसाल के तौर पर पेश किया जा सकता है। इससे पूरे प्रक्रिया की वैधता पर भी प्रश्नचिह्न लग सकता है।
शिक्षक संघों की प्रतिक्रिया
शिक्षक संघों ने इसे ‘प्रक्रिया का दुरुपयोग’ बताते हुए कहा है कि अध्यापन व्यवस्था के नाम पर पसंदीदा स्थानों पर अटैचमेंट कराना एक तरह का पक्षपात है। यह आदेश उन आशंकाओं को और मजबूती दे रहा है, जो युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया की शुरुआत से ही जताई जा रही थीं।