पंचायत सचिवों की मांग जायज, सरकार वादाखिलाफी कर रही है: पूर्व विधायक गुलाब कमरो


मनेंद्रगढ़ (एमसीबी): पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने पूरी तरह न्यायसंगत बताते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि “मोदी की गारंटी” के नाम पर सत्ता में आई भाजपा सरकार अब अपने ही वादों से मुकर रही है। चुनाव से पहले पंचायत सचिवों को शासकीयकरण का भरोसा दिया गया था, लेकिन सवा साल बीतने के बाद भी सरकार आदेश जारी नहीं कर सकी।

ग्रामीण विकास पर पड़ा असर

पूर्व विधायक ने कहा कि पंचायत सचिव ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार और जनता के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनकी हड़ताल से आवास योजना, पेंशन वितरण, जाति-निवास प्रमाण पत्र जैसे बुनियादी कार्य ठप पड़े हैं। इससे ग्रामीण जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार कान में रूई डालकर बैठी है।

“मोदी की गारंटी” से पलटी भाजपा

गुलाब कमरो ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि जब पार्टी सत्ता से बाहर थी, तब इसके नेता कर्मचारियों को मंचों पर बड़े-बड़े आश्वासन देते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद वे “गूंगे-बहरे” बन गए हैं। पंचायत सचिवों की आवाज़ न सुनना इस बात का प्रमाण है कि भाजपा को जनता की नहीं, बल्कि सिर्फ सत्ता की चिंता है।

झूठे वादों से जनता ठगी महसूस कर रही

पूर्व विधायक ने कहा कि भाजपा सरकार “कॉरपोरेट हितैषी” बन चुकी है, जो केवल पोस्टर और फ्लेक्स पर विकास दिखाती है, जबकि जमीनी हकीकत शून्य है। “मोदी की गारंटी” के नाम पर वोट बटोरने वाली भाजपा ने किसान, मजदूर, पंचायत सचिव, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, रसोइया और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को ठगने का काम किया है।

गाँवों का विकास प्रभावित

गुलाब कमरो ने कहा कि जब भाजपा ने सत्ता में आने के 100 दिन के भीतर कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था, तब जनता ने उस पर विश्वास किया। लेकिन अब सरकार पूरी तरह वादाखिलाफी कर रही है। सचिवों की मांग पूरी न होने से गाँवों का विकास ठप हो गया है। कई योजनाएँ अटकी पड़ी हैं और जनता को ज़रूरी सेवाएँ नहीं मिल पा रही हैं।

कर्मचारियों की लड़ाई में साथ

पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने पंचायत सचिवों सहित सभी अस्थायी कर्मचारियों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि उनकी इस न्यायसंगत लड़ाई में वे पूरी तरह उनके साथ हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि सचिवों की मांगों को तुरंत पूरा किया जाए और उन्हें शासकीय कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
उन्होंने कहा कि यह सिर्फ पंचायत सचिवों की लड़ाई नहीं है, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों और ग्रामीण जनता के हक की लड़ाई है। यदि सरकार जल्द नहीं चेती, तो जनता इसका जवाब देगी।


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