जनकपुर: नगर पंचायत जनकपुर में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काटे गए नीलगिरी के पेड़ रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं। कुल 24 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, जिनमें से लगभग 20 पेड़ काटे जा चुके हैं। हालांकि, इन पेड़ों की लकड़ी को किसने बेचा और उसका पैसा कहां गया, इसकी जानकारी न तो नगर पंचायत को है और न ही लोक निर्माण विभाग (PWD) को।
सड़क चौड़ीकरण के लिए 24 पेड़ों की अनुमति
जनकपुर में लोक निर्माण विभाग द्वारा मनेंद्रगढ़ तिराहा से बनास नदी तक 3.6 किलोमीटर लंबी सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। इसके लिए विभाग ने अनुविभागीय अधिकारी (SDM) भरतपुर राजस्व से 24 नीलगिरी के पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी। 14 फरवरी 2025 को इसकी अनुमति भी दे दी गई थी।
अनुमति मिलते ही ठेकेदार ने पेड़ों को काटना शुरू कर दिया। लेकिन कटाई के बाद इन पेड़ों की लकड़ी को ट्रक में लोड कर अन्यत्र भेज दिया गया। हैरानी की बात यह है कि कटे हुए पेड़ों को जनकपुर के काष्ठागार में रखने के बजाय कहीं और ले जाया गया, जिसकी जानकारी किसी भी अधिकारी को नहीं दी गई।
अधिकारियों ने साधी चुप्पी
इस पूरे मामले में स्थानीय अधिकारियों ने अनभिज्ञता जताई है।
उपवन मंडलाधिकारी (SDO) उत्तम पैकरा का कहना है कि उनके विभाग द्वारा नीलगिरी के पेड़ नहीं कटवाए गए और न ही कटी हुई लकड़ी को काष्ठागार में रखा गया है।
नगर पंचायत जनकपुर के CMO रमेश द्विवेदी ने बताया कि पेड़ काटने के लिए नगर पंचायत से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) नहीं लिया गया और न ही कोई राशि नगर पंचायत में जमा करवाई गई। उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं है कि नीलगिरी की लकड़ी किसने बेची और उससे प्राप्त पैसे कहां गए।
PWD के SDO प्रमोद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उन्हें पेड़ काटने की अनुमति तो मिली थी, लेकिन लकड़ी किसने बेची और कितने पैसे में बेची गई, इसकी जानकारी विभाग को नहीं दी गई।