रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित बलौदाबाजार हिंसा मामले में कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को सुप्रीम कोर्ट से सात महीने बाद जमानत मिल गई है। 188 दिनों तक जेल में रहने के बाद 20 फरवरी को उन्हें रिहा किया गया। इसी मामले में भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश चतुर्वेदी समेत 112 अन्य आरोपियों को भी हाईकोर्ट से जमानत मिली है।
विधायक देवेंद्र यादव की रिहाई के बाद रायपुर सेंट्रल जेल के बाहर उनके समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। समर्थकों ने फूल-मालाओं और नारों के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। रिहाई के तुरंत बाद यादव सीधे भिलाई रवाना हो गए, जहां खुर्सीपार में उनके सम्मान में एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में बलौदाबाजार हिंसा मामले में रिहा हुए सतनामी समाज और यादव समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होंगे।
क्या है बलौदाबाजार हिंसा मामला?
10 जून 2024 को बलौदाबाजार में सतनामी समाज ने जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन के दौरान उग्र भीड़ ने कलेक्टर और एसपी कार्यालय में आगजनी कर दी थी। इस घटना के बाद कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव पर आरोप लगा कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को भड़काया और आंदोलन को समर्थन दिया। इन्हीं आरोपों के आधार पर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट में देवेंद्र यादव की दलील
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान देवेंद्र यादव ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने न तो किसी सभा में भाषण दिया और न ही भीड़ को भड़काने का काम किया। उन्होंने अदालत को बताया कि घटना के समय वे मौके पर मौजूद नहीं थे और उनका कार्यक्रम हिंसा की घटना से अलग था। साथ ही, यादव ने अपनी गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसे पूरी तरह अनुचित करार दिया।
राजनीतिक हलचल तेज
विधायक देवेंद्र यादव की रिहाई के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। समर्थकों की भारी भीड़ और उनके समर्थन में आयोजित कार्यक्रम ने यह संकेत दिया है कि यादव का राजनीतिक प्रभाव अब भी बरकरार है। आने वाले समय में बलौदाबाजार हिंसा मामले का राजनीतिक परिदृश्य पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।