भरतपुर (एमसीबी)। जिले में मतदाता सूची में हेरफेर का बड़ा मामला सामने आया है। बिना एसडीएम की अनुमति के मतदाता सूची में नाम जोड़े जाने की खबर से प्रशासन में हड़कंप मच गया। इस अनियमितता को गंभीरता से लेते हुए भरतपुर एसडीएम ने जनपद पंचायत की मनरेगा शाखा के तीन कंप्यूटर जब्त कर जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, दो दर्जन से अधिक कर्मचारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
भरतपुर के एक नेता, जो नगर क्षेत्र के निवासी हैं, का नाम अचानक ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में दर्ज हो गया। यह मामला सामने आते ही प्रशासन सक्रिय हो गया, क्योंकि इस प्रक्रिया के लिए एसडीएम की अनुमति अनिवार्य होती है। जब प्रशासन को इस गड़बड़ी की जानकारी मिली, तो एसडीएम ने तत्काल जांच शुरू कर दी।
एसडीएम का सख्त रुख – होगी कड़ी कार्रवाई
भरतपुर एसडीएम ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कहा, “बिना मेरी अनुमति और हस्ताक्षर के मतदाता सूची में किसी का नाम जोड़ना पूरी तरह अवैध है। यदि इसमें किसी ऑपरेटर या कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो जांच के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
मनरेगा शाखा के तीन कंप्यूटर जब्त – यह पता लगाने के लिए कि गड़बड़ी किस स्तर पर की गई।
दो दर्जन कर्मचारियों को नोटिस – शामिल कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया।
डिजिटल रिकॉर्ड की जांच – यह पता लगाने के लिए कि बदलाव किसके आदेश पर किया गया।
राजनीतिक मिलीभगत की आशंका
प्रशासन को संदेह है कि यह गड़बड़ी राजनीतिक लाभ के लिए की गई होगी। यदि इस आशंका की पुष्टि होती है, तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक, जनपद पंचायत भरतपुर में पदस्थ एक ऑपरेटर की भूमिका जांच के दायरे में है।
आगे क्या होगा?
भरतपुर प्रशासन की जांच जारी है और जल्द ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना है। इस मामले ने चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि जांच में क्या खुलासा होता है और प्रशासन इस अनियमितता पर क्या कदम उठाता है।