मनेंद्रगढ़/छत्तीसगढ़ : स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल द्वारा वरिष्ठ आदिवासी नेता कवासी लखमा को लेकर दिए गए बयान – “कवासी लखमा पढ़े-लिखे होते तो ऐसी स्थिति निर्मित नहीं होती” – पर सियासत गरमा गई है। भरतपुर–सोनहत के पूर्व विधायक एवं आदिवासी विकास प्राधिकरण के राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त सदस्य गुलाब कमरों ने इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
गुलाब कमरों ने कहा,
“पढ़े-लिखे मंत्री को ऐसी बात करना शोभा नहीं देता। खासकर बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य, पिछड़े क्षेत्र के एक वरिष्ठ नेता के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी बेहद निंदनीय है। मंत्री का यह बयान न केवल असंवेदनशील है, बल्कि पूरे आदिवासी समाज का अपमान है।”
पूर्व विधायक ने आगे कहा कि
“70 साल पहले बस्तर की क्या स्थिति थी, यह सोचने की जरूरत है। हमारे बाप-दादा भी पढ़े-लिखे नहीं थे, क्या इसका मतलब यह है कि उनका योगदान या उनका अस्तित्व ही महत्वहीन हो गया? आज भी देश के कई हिस्से शिक्षा से वंचित हैं। ये व्यवस्था की कमी है, न कि समुदाय की कमजोरी।”
उन्होंने याद दिलाया कि कवासी लखमा ने बतौर मंत्री बस्तर में सड़कों, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे कई विकास कार्य किए।
“डबल इंजन की सरकार आज बस्तर के आदिवासियों को लगातार प्रताड़ित कर रही है। जल, जंगल और जमीन को उनसे छीना जा रहा है और उद्योगपतियों को सौंपा जा रहा है। फर्जी इनकाउंटरों में आदिवासियों को मारा जा रहा है, स्कूलों को बंद किया जा रहा है ताकि आदिवासी बच्चे पढ़-लिख न सकें।”
गुलाब कमरों ने मंत्री पर तंज कसते हुए कहा –
“आप जैसे पढ़े-लिखे मंत्री आदिवासियों को अपमानित करने का काम कर रहे हैं। आपने इशारों-इशारों में आदिवासी समाज को ‘अनपढ़’ कहने की जो कोशिश की है, उसे यह समाज कभी सहन नहीं करेगा। यह अपमान नहीं, बल्कि चेतावनी है – हम अपने हक, सम्मान और अस्तित्व की रक्षा के लिए एकजुट हैं।”
यह बयान आदिवासी अस्मिता और सम्मान के लिए एक बड़ी आवाज बनता दिख रहा है। अब देखना होगा कि स्वास्थ्य मंत्री अपने बयान पर पुनर्विचार करते हैं या नहीं।