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वन माफियाओं का आतंक: पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने लगाया गंभीर आरोप, डीएफ़ओ की मिलीभगत से हो रही हरे पेड़ों की अवैध कटाई


भखार न्यूज छ.ग. : नत्थू पयासी

पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि परिक्षेत्र कुंआरपुर, बहरासी और बिहारपुर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई कर लकड़ी की तस्करी की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि यह सब डीएफ़ओ की मिलीभगत से हो रहा है।

स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि क्षेत्र में लगातार कीमती और दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ों को काटा जा रहा है, जिससे न केवल पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, बल्कि जंगल में रहने वाले वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट मंडरा रहा है।

घटनास्थल से प्राप्त चित्रों में साफ़ देखा जा सकता है कि ताजे कटे हुए वृक्षों के ठूंठ और बिखरी हुई लकड़ियाँ किस तरह से अवैध कटाई की पुष्टि कर रही हैं। बावजूद इसके, राजस्व विभाग और वन विभाग की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।

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वनमण्डल मनेन्द्रगढ़ अंतर्गत परिक्षेत्र कुंवारपुर, बहरासी, बिहारपुर क्षेत्रों में वनमण्डलाधिकारी एवं वन परिक्षेत्राधिकारी द्वारा बाहरी वनमाफियों से मिली भगत कर कीमती प्रजाति के वृक्षों एवं वनोपज की तस्करी की शिकायत प्राप्त हो रही है और तस्करी कर अवैध रूप से सम्पत्ति अर्जित किया जा रहा है। इसी प्रकार राजस्व क्षेत्रों में भी गरीब आदिवासियों की भूमि पर उगे कीमती प्रजाति के वृक्षों को बहला-फुसलाकर भोले-भाले आदिवासियों को कम दाम पर वृक्षों की खरीदी कर वनमाफियों द्वारा अन्य राज्य जैसे उत्तरप्रदेश, बिहार में अत्यधिक कीमत पर बेचकर लकड़ी एवं वनोपजो की तस्करी की जा रही है।

 

 यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण अधिकांश आदिवासी लोग कृषि एवं वनोपज संग्रहण कर अपना जीविकोपार्जन करते है तथा वनोपज संग्रहण उनका आय का प्रमुख स्त्रोत में से एक है, जिसे तेजी से वनों की कटाई कर नष्ट किया जा रहा है, जो कि चिंता का विषय है। इस प्रकार वृक्षों की लगातार कटाई से आसपास का पर्यावरण भी प्रभावित होगा एवं नदी तलाबों के मिट्टी का कटाव व जल भराव न होने की भी समस्या उत्पन्न होगी।

 

 

“यदि इस तरह की गतिविधियों पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई, तो आने वाले समय में हमारे जंगलों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।” 

 

क्या यही है सुशासन?

प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की निष्क्रियता पर अब जनता सवाल उठाने लगी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन-प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाता है।


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