कोरिया की ‘लखपति दीदियां’ लिख रहीं आर्थिक सशक्तीकरण की नई इबारत


कोरिया, 05 जनवरी 2025
“जब नारी उद्यमशील होती है, तो समाज आत्मनिर्भर बनता है।” कोरिया जिले में इस विचार को वास्तविकता में बदलने का कार्य किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के तहत शुरू की गई लखपति दीदी योजना ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें एक नई पहचान दी है। यह योजना केवल आर्थिक सशक्तिकरण का साधन नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं के महत्व को स्थापित करने का मार्ग भी है।
ग्रामीण महिलाओं की नई उड़ान
कोरिया जिले में दर्जनों महिलाएं अब निर्माण सामग्री आपूर्ति और ठेकेदारी के कार्यों में सक्रिय हैं। इन महिलाओं ने परंपरागत कार्यों की सीमाओं को पार कर निर्माण सामग्री जैसे सेंट्रिंग प्लेट और मिक्सर मशीन की आपूर्ति शुरू की है। इस पहल ने न केवल उनके जीवन में आर्थिक स्थिरता लाई है, बल्कि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लक्ष्यों को तेजी से पूरा करने में भी सहायक सिद्ध हुई हैं।
पिछले दो वर्षों में 25 से अधिक महिलाओं ने निर्माण क्षेत्र में ठेकेदारी को अपनाया। सोनहत के अकलासरई की प्रेमवती और शांति बाई, ग्राम ओरगईं की तुलेश्वरी, कर्री की गीता, और बैकुंठपुर के सलबा की सरिता साहू जैसी महिलाएं अब गांवों में “ठेकेदार दीदी” के नाम से जानी जाती हैं। इन महिलाओं ने अपने गांवों में 900 से अधिक आवास निर्माण कार्य पूरा कर एक मिसाल पेश की है।
महिलाओं के सशक्तिकरण की प्रेरणा
जिला कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी का कहना है,
“महिलाओं का सशक्तीकरण किसी भी समाज की प्रगति की पहचान है। ‘लखपति दीदी’ योजना से जुड़ी महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर कोरिया को एक नई दिशा प्रदान कर रही हैं।”
मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि बिहान के तहत महिलाओं को 1.5 लाख से 6 लाख रूपए तक का लोन उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ ही, मुद्रा योजना, सीआईएफ और एसवीईपी जैसी योजनाओं के माध्यम से भी महिलाओं को व्यवसाय से जोड़ने की प्रक्रिया जारी है।

ग्रामीण विकास का नया आधार
“लखपति दीदियां” न केवल अपने जीवन को बदल रही हैं, बल्कि गांवों की तस्वीर भी बदल रही हैं। उनके ठेकेदारी कार्यों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों में गति दी है और वंचित परिवारों को पक्के मकान का सपना पूरा करने में मदद की है।

सशक्त महिलाओं की कहानी
सोनहत के अकलासरई की प्रेमवती और शांति बाई ने मिक्सर मशीन और सेंट्रिंग प्लेट के उपयोग से ग्रामीण क्षेत्र में पहचान बनाई है। कर्री की गीता, कैलाशपुर की मनीषा, और महोरा की इंद्रमनी जैसी महिलाओं ने परंपरागत कार्यों से हटकर निर्माण कार्यों में हाथ आजमाया और आज ये महिलाएं “लखपति दीदी” श्रेणी में शामिल हो चुकी हैं।

सुनने व पढ़ने में अक्सर मिलता है कि जुनून और कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता। जिले की इन महिलाओं ने अपनी जीवटता से इस बात को चरितार्थ कर रही हैं। लखपति दीदी योजना ने उन्हें सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त नहीं किया, बल्कि समाज में उनकी भूमिका को भी पुनः परिभाषित किया है। कोरिया जिले का यह मॉडल न केवल ग्रामीण विकास की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह प्रेरणा देता है कि जब महिलाएं आगे बढ़ती हैं, तो समाज का हर कोना रोशन होता है।


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